नया सवेरा नयी है आशा ,
अब ना होगी कोई निराशा।
ये दुःख है कुछ क्षणों का ,
फिर आएगी खुशिया ही खुशिया ।
नया सवेरा नयी है आशा ,
अब ना होगी कोई निराशा ।
आ रही है खुशियों की किरणे
दुखो का अँधेरा चिर कर ।
नया सवेरा नयी है आशा
दूर होंगी सभी निराशा ।
जब सब साथ है तो क्या दुःख है ?
अब तो बस बरसेंगी खुशिया ।
झूमेगी सृष्टि सारी एक होकर
अब तो बस यही है आशा ।
नया है सवेरा नयी है आशा
अब न होगी कोई निराशा ।
सुख के दीपक जल रहे है ,
खुशियों के रंग भर रहे है ।
सबके जीवन चहक रहे है
अब न कोई गम है न कोई निराशा
अब पुरे संसार में बस है खुशियों की भाषा ।
चलता रहता है ये सिलसिला जीवन भर में
कभी ख़ुशी ए तो कभी गम इस जीवन में ।
पर हर पल ख़ुशी का होजाये अगर सब संग में हो ।
फिर न कोई गम होगा ,
हर पल बन जाये खुशियों का बगइच।।
By Vaishnavi