जब रोती हुई आई वो इस दुनिया में
तो उसके साथ एक माँ बाप भी जन्मे
जो बचपन जिमेदारियो ने भुला दिया
वो ये नन्ही जान वापस ले आई
उसकी एक मुस्कान जैसे
सबकी खुशियों की चाबी हो
उसकी पायल की छन छन से
पूरा घर चहक जाता
जिसकी आवाज़ से अपना नाम सुनने को
पूरा घर करता कोशिश
उसके हाथ की पहली चाय
अमृत से भी मीठी हे
कल तक जिसका स्कूल का टिफ़िन बनाया करते थे
आज उसके ऑफिस के लिए टिफ़िन पैक होता हे
जो स्कूल जाने पर रोया करती थी
आज मुस्कुराकर अपनी मंजिल को चली
नन्ही सी काली नाजो से पाली
अब बड़ी होकर पिया घर चली
मेघा कौशिक