जीवन में मनोरंजन का कार्य मानव शरीर को मानसिक एवम् शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। मानसिक स्वास्थ्य रखने हेतु मनोरंजन अति आवश्यक होते है, वर्तमान दौर देखते हुए यह समय मानसिक अवसाद और विकार पैदा करने वाले होते है,
जहां केवल घुटन होने लगती है, मानव अपने जीवन में अनेक क्रियाएं करता है खाना,पीना,चलना,फिरना आदि। इन क्रियाओं में अभिरुचि (हॉबी) क्रिया प्रथम होती है। जिसे करके मानव संतुष्ट होता है।
अभिरुचि क्या है?
अभिरुचि हिंदी का शब्द है जिसे अंग्रेजी में (हॉबी) कहते है, इसके अनेक पर्याय निकलते है जैसे शौक, रुचि, दिलचस्पी इत्तियादी ।
हॉबी और रुचि का शब्द अलग हो परन्तु अर्थ एक निकलता है शौक, दिलचस्पी,
अर्थात् जिस कार्य में, या करने में दिल और दिमाग लगे और पूरी तरह से उस कार्य में ढल जाना अभिरुचि में आते है, देखा! जाए तो दिनचर्या का कार्य अपनी रुचि के अनुसार करते है सुबह उठना, नाश्ता, चाय,काफी,फिल्में देखना, मनपसंद खाना खाना घूमना, फिरना आदि,
परन्तु इनमें से कुछ क्रियाएं ऐसी होती है जो प्रमुख होती है जिसे करना बेहद अच्छा और लगन से किया जाता है करियर की तलाश भी करते है।
जैसे नृत्य, संगीत, चित्रकला, खेल, आदि ये ऐसी क्रियाएं है जिन्हें अधिकतर लोगों ने अपनी रुचि बनाई है, और इन क्षेत्र में काफी महारत हासिल की।
आज इनमें एक ऐसी रुचि पर बात करते है, जिससे हम आसानी से अभिरुचि से कैरियर की शुरुआत कर सकते है।
खेल अभिरुचि के सुझाव
प्रायः: देखा जाता है कि बचपन से ही किसी क्रिया या अभिरुचि में झुकाव होता है, जैसे नृत्य,संगीत,या लिखना
इस रुचि में सर्व है खेल रुचि, बचपन से ही बच्चो में खेल की रुचि होती है तरह तरह के खेल खेलने को मिलते है जिससे उनका ध्यान, और शरीर सेहत मंद होता है, इन खेलों में जैसे दौड़, बैट मिंटन,टेनिस,क्रिकेट,आदि
सरकार भी विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता और कार्यक्रम में खेल को तवज्जो देती है, “FIT INDIA” और “खेलो तभी तो बढ़ेगा इंडिया” जैसे कार्यक्रम में हर वर्ग के लोगो को शारीरिक रूप से सेहत मंद होने पर बढ़ावा दिया गया है।
खेल अभिरुचि में करियर
आज के दौर में अभिरुचि से करियर और नौकरी पाना बहुत ही मुश्किल है, अधिकांश लोग अपनी अभिरुचि को अधूरी छोड़ देते है क्युकी बहुत कोशिश के बाद उन्हें लगता है कि इसमें कैरियर बनाना मुश्किल है। अपनी अभिरुचि में सपनों कि नौकरी ना मिलने के कारण युवा वर्ग अपनी अभिरुचि भी छोड़ देते है जिससे आगे जाकर मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) होने लगता है वह मौजूदा नशीली शराब और दवाई(ड्रग्स) आदि का सेवन करने लगते है।।
खेल अभिरुचि ऐसी है जहां बचपन से बुढ़ापे तक खेल सकते है, यह एक शारीरिक क्रिया है जो मानसिक तनाव और बीमारियों को दूर करती है।
खेल अभिरुचि की पहली पीढ़ी बचपन और दूसरा स्कूल होता है जहां पढ़ाई के साथ अनेक प्रतियोगिता करवाई जाती है, खेल की किसी एक क्रिया में अव्वल आने पर राज्य स्तर,पर सम्मानित किया जाता है, इसका दौर कॉलेज में सुरु होता है जहां विजयी होने पर अंतर राष्ट्रीय स्तर पर खेलने भेजा जाता है और प्रमाण पत्र दिया जाता है।
अब जहां कैरियर की शुरुआत और नोकरी के अवसर की तलाश करनी है जहां भारतीय सेना , जलसेना, (navy force) वायुसेना,(Air force) और थलसेना (Army force) समय- समय पर युवावर्ग के लिए नौकरियां प्रदान करती है जिनमें खेल अभ्यार्थियों को लिए विशेष छूट दी जाती है, उन्हें शारीरिक रूप से सफल माना जाता है और केवल इंटरव्यू के आधार पर खेल के ट्रायल के अनुसार नौकरी दी जाती है।
भारतीय रेल युवा वर्ग को खेल कोटा दिया जहां है जहां उन्हें नियुक्ति के साथ साथ खेल भी खिलाए जाते है, ऐसी ही जानी मानी हस्ती “महेंद्र सिंह धोनी” ने रेल सेवा में नौकरी करने में अपनी खेल की शुरुआत क्रिकेट से की ऐसी बहुत सी जानी मानी हस्तियां है जो नौकरी में अभिरुचि से उड़ान भरी है,
भारतीय सेना और रेल सेना में खेल कोटा से चुने युवा वर्ग को “ओलंपिक गेम्स ” में हिस्सा बनती है
इन गेम्स में युवा देश का नाम रोशन करते है।
दूसरा स्तर है अगर सरकारी नोकरी में अवसर नहीं मिले तो खेल में कैरियर कैसे बनाए?
अगर किसी कारणवश सरकारी नौकरी से अपनी अभिरुचि में चूक गए है तो ऐसे अनेक हिस्से है जहां कैरियर और नौकरी के अवसर है
स्कूल,कॉलेज,जिम सेंटर , ट्रेनिंग सेंटर एकेडमी (जहां प्रशिक्षण दिया जाता है सेना में जाने के लिए) आदि ऐसे कैरियर बनाने के हिस्से होते है ।
इसी प्रकार खेल की अभिरुचि से अपने सपनों को नौकरी को आसानी से पा सकते है, केवल मेहनत ओर लगन जरूरी है।
अभिरुचि का बोझ
माता पिता अपने बच्चो को लेकर चिंतित है वह चाहते है को उनके बच्चे हर क्षेत्र में क्रिएटिविटी ) क्रियाशील बने। इस वजह से वह उनको अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाते है और एक्टिविट सीखते है बच्चो को मजबुर होकर यह सब करना पड़ता है इसलिए बच्चो की हॉबी, उनके बोझ के तले दब गई इसलिए बच्चो को स्वतंत्र छोड़ दिया जाए और अपनी अभिरुचि में कैरियर की तलाश करने दे ताकि बच्चे अपनी अभिरुचि को बोझ ना समझे। अधिकांश बच्चे अभिरुचि में अवसर ना मिलने पर अभिरुचि से मुंह मोड़ लेते है या उन्हें लगता है माता पिता उन पर दवाब बना रहे है कैरियर और अभिरुचि के बीच में, लड़कियां अपनी अभिरुचयों को शादी के बाद छोड़ देती है क्युकी उन्हें लगता है उन पर घर की जिम्मेदारियां अधिक बढ़ गई, और वह धीरे धीरे अपने आप घुटने लगती है, लड़कियों की अभिरुचि को इस कारणवश छुड़वा दिया जाता है क्युकी उनके पास सपनों कि नौकरी चुनने के अवसर नहीं होते , गृहस्थी में समय गुजरने के बाद सकुच होता है अफसोस वह फिर अपने अभिरुचि से सपनों कि उड़ान भरने लगती है, इसलिए अभिरुचि में सपने एक ना एक दिन पूरे हो जाते है इसलिए उन्हें अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
By Anju Kanwar, Jaipur (Rajasthan)
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