December 5, 2025

कविता

प्रस्तुत कविता माँ से संबंधित है । इस कविता में एक शिशु (भ्रूण)जो कि गर्भ में पल...
मेरी औकात नहीं तुम्हें पाने की ! हैसियत नहीं हथियाने की ! शायद मेरी अंतरात्मा तुम्हें पुकारती...
कैद थी अपनी जिम्मेदारियों से,जब संभलना चाह खुद को नीचे पायाइन समाज के बीमारियों से,बहुत गिन चुकी...