मेरी हालत कुछ इस तरह की रही
रात भी मेरी दिन जैसी ही रही!
बस तसव्वूर मे रह कर तमाम रात
अपने आशयाने को ढूंढती रही!
गुम होकर दिल उसके ख्यालो में
मेरी आँखे नम होती गइ!
आँसुओं की लङी भी सारी रात
तकियो पर रास्ते ही नाप्ती रही!
मेरी हालत कुछ इस तरह की रही
रात भी मेरी दिन जैसी ही रही!
वक्त थम सी गई थी जिंदगी की
एक सितम थी ऊसकी जो गुजर गई!
तेरे बाद न हो मेरा हमसफर कोई
दुआएँ दिल से यही निकलती रही!
मेरी हलालत कुछ इस तरह की रही
रात भी मेरी दिन जैसी ही रही!
By Aafa Shameem