मुंबई की लाइफ लाइन है लोकल, दिन हो या रात,
बस भागती रहती है हर पल।
मुंबई की लाइफ लाइन का, क्या कहना है भाई?
चढ़ जाते हैं सब लोग, क्योंकि सबको होती है घाई!
यात्रियों को कभी कबार पूछ लेती हैं,
अपने सफर का दाम;
लेकिन आज हजारों लोगों की रोजी रोटी बन गई है,
और आज भी दे देती है गरीब को काम!
किसी का घर तो किसी के काम करने का ठिकाना हैं,
कॉलेज, ऑफिस को छुट्टी लगा कर ;
किसी मुसाफिर का घूमने का बहाना हैं!
यात्रियों से भेदभाव यह लोकल कभी करती नहीं,
और अपनी मुसाफिरों को उनकी मंजिल,
तक पहुंचाए बिना रुकती नहीं!
अभी झगड़े की जगह बन जाती,
तो कभी नए रिश्ते बनाती;
मुंबई की लाइफ लाइन है यारों,
हर एक सफर में जिंदगी का पाठ पढ़ाती!
“मुंबई की लोकल” सारे जहान में जानी जाती,
इसीलिए “मुंबई की लाइफलाइन” यह है कहलाती!
- मानसी दुपटे।