सब हिंदू या मुसलमान हैं नहीं है इंसान कोई
आज है आज़ादी दिवस पर इसका तुक ना कोई
कहाँ वो बापू कहाँ भगत सिंह कहाँ वो लक्ष्मीबाई
दौर है आया अब ऐसा कि लड़ता भाई से भाई
हरा है तेरा मेरा हो गया केसरियाऔर शीत निद्रा में सो गई वो सोने की गौरिया
उत्तर पूरब दक्षिण पश्चिम ये भुगोल हुआ बेढंगा
लौट कर घर को आता सैनिक पर लिपट अब तिरंगा
टूटी चूड़ी मिटा सिन्दूर और उजड़ गया सुहाग
लाखों घरों ने ऐसे ही बस बुझा दिए चिराग
पूरा बचपन बीत गया ताकते फिर वो वर्दी
तब जाकर मालूम हुआ कि होती क्या है दहशतगर्दी
अब किसी युवराज के हाथों कोई जंग ना होने पाए
मेरे इस वतन को अब कोई नज़र ना लगने पाए
और नित-नूतन बढ़ता रहे अब इसका सम्मान
हिंदुस्तान है देश मेरा और ये देश बड़ा महान…ये देश बड़ा महान
लेखक: भूपेश वैद्य