लाक डाउन

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इस लाक डाउन ने सीमितता में ,

जीवन जीना सिखा दिया,

इस लाक डाउन ने लोगों को ,

परिवार में रहना सिखा दिया।।

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सोचो,समझो और मनन करो,

धन के पीछे मत गमन करो ,

संबंधों को महसूस करो,

असली खुशियों का चयन करो ।।

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दो जोड़ी कपड़े काफी है,

 दो वक्त की रोटी काफी है,

गर संग साथ मिल जाए तो,

बस ,खतम ये आपा धापी है ।।

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न तो घर बड़ा जरुरी है,

न ही कोई मजबूरी.है,

कम मेंभी हम  खुश रह सकते,

बस ह्रदय विशाल जरुरी है।।

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घर में  भी सुख मिल सकता है,

क्यों बाहर दौड़ लगाते है,

जितना जो कुछ भी बांट दिया,

बस वही तो वापस पाते है।।

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थमा वाहनों का कोलाहल,

पक्षी का कलरव गूंज उठा,

दशों दिशाएं शुद्ध हुईं अब,

मन मतवाला झूम उठा ।।

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इस लाक डाउन ने हम सबको,   

कुछ कर्मठ भी तो बना दिया,

कुछ साहस भी उतपन्न हुआ

स्वीकार भाव भी सिखा दिया ।।

मधुरंजन ,

रंजना मिश्रा ”  मधुरंजन”  लेखिका की रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व ब्लाग में प्रकाशित ।रीवा में निवास ।न्याय धर्म सभा से (NDS) जुड़ीं है।

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