सादा जीवन उच्च विचार,
सुख और शांति का यही आधार ।
एक स्वस्थ शरीर में एक सुखमये आत्मा का वास तभी होता है जब हमारा चित शांत हो और यह तभी हो सकता है जब हमारी महत्वकांक्षाए हमारे नियंत्रण में हो । आज के युग में हमारी मनोकामनाओँ ने हमें इतना भगा रखा है की हम अपने वर्तमान को जीना भूल गए है । या तो हम अपने अत्तीत को याद कर दुखी होते है या फिर भविष्ये की इच्छाओं को पूरा करने के लिए आज को खो रहे होते है । जीवन का असली सुख तो आज को जीने में है । अपनी ग़लतियों से सिखकर आगे बढ़े और वर्तमान को जी कर उसका सदुपयोग करके बेहतर भविष्ये का निर्माण करे। हमारे मन पर हमारा नियंत्रण होना बहुत जरूरी है ।
आज की दिनचर्या आप प्रकर्ति की गोद से शुरू कर सकते है । सुबह सुबह ठंडी ठंडी घास पर नगें पाव चलें, गहरी लम्बी सांस लें, कुछ देर योगा करें, थोड़ी देर मैडिटेशन करें । दिन में किसी भी वक्त अपने बारे में सोचें, अपने से बातें करें क्योंकि इस दुनिया में सबसे बड़ा रिश्ता इंसान का खुद से है । अगर इंसान खुद से खुश है तो वह दुसरो को भी खुश रख सकता है अन्यथा नहीं । चिंता उतनी करें जितनी जरूरी हो वरना यह तो सभी को ज्ञात है की चिंता भी चिता के सामान है । अत्तीत की गलतियों से दुखी न हो बल्कि उन से सिख कर आगे बढ़े । दिन में एक बार उस से बात जरूर करें जिसे आपका दर्ष्टिकोण समझ आता हो और आपको वह इंसान एक सकारत्मक सोच दे सकता हो ,इससे आपका तनाव कम तो होगा ही साथ ही अच्छी प्रेरणा भी मिलेगी ।
सांसारिक सुखो के पीछे उतना भागे जितना आप खुद से उसका प्रबंध कर सकें, दुसरो को देख कर या दुसरो से उम्मीद करके अपने मन को अशांत न करें । मेहनत करें और आगे बढ़ने में अग्रसर हो । काम शुरू करने की और सिखने की कोई उम्र नहीं होती , ईमानदारी से और मेहनत से एक एक सीढ़ी चढ़ते रहे और कामयाबी हासिल करते रहें। इंसान की कामयाबी उसकी लगन से है ,उसकी विनर्म बोली में है ,उसकी सलीके में है , उसकी प्रेमभाव में है । इंसान का सबसे बड़ा निवेश उसके बच्चो की सही परवरिश और उनमे दिए अपने बहुमुल्ये संस्कार है । उन्हें पढ़ाये लिखायें और कामयाब बनाये । काबिल होंगे तो अपनेआप अपनी मंजिल तय कर लेंगे और आपका का बुढ़ापा यही सोच कर सुख से कट जायेगा की अपने अपनी जिम्मेदारी सही से पूरी की ।
सदैव ऐसे वस्त्रो को धारण करें जिसमे आप अपने में आत्मविश्वास महसूस कर सके और आराम पा सकें । इंसान की पोषक उसके काम करने की क्षमता को बड़ा देती है साथ ही समाज में उसको एक आदर व् सम्मान का बोध भी कराती है ।इसलिए वो धारण करें जो आपके मन को ख़ुशी और आजादी दोनों से काम करने दें। गर्मी में खादी और सूती वस्त्रो के पहने से शरीर का तापमान अनुकूल बना रहता है और वही सर्दियों में ऊनी, गर्म और रेशम से बने कपड़े पहने से रक्तचाप व् त्वचा सही रहते है । भारत एक विवधताओं का देश रहा है । यहाँ छै प्रकार के मौसम रहते है , हर मौसम का अपना तापमान और नमी, उसी के अनुरूप आप अपनी वेशभूषा का ,रंगो का चयन कर अपने शरीर की शोभा बढ़ा सकते है और मन को ख़ुशी भी प्रदान कर सकते है । जैसा देश वैसा भैस।
आज के जीवन में अगर मन खुश है तो शरीर स्वस्थ है । मन को दुनिया की भीड़ में दौड़ाये नहीं । कुदरत का भरपूर फायदा लें , धुप लें ,पानी पिए, हरी सब्जी व् फल का सेवन करें ,दूध और दूध से बनी चीजों का स्वाद लें । दिन में एक बार धरती पर जरूर लेटें ताकि धरती की ठंडक का एहसास आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा विकास कर सकें ।
जैसा खाएं अन्न वैसा हो जाये मन ,
जैसा पिए पानी वैसी हो जाये वाणी ।
प्रकर्ति के लिए कुछ करें जैसे पेड़ लगाए, पानी बचाये, अक्षय ऊर्जा का प्रयोग कर जहरीली गैसों से पर्यावरण को दूषित होने से बचाएं। प्रकर्ति से उतना लें जितना उसको वापिस कर सकें । अपनी क़ाबलियत और क्षमता के अनुरूप काम करें , इसे आप आत्मविश्वास और ऊर्जा दोनों से भरे रहेंगे । जिस कल को जीने के लिए आप बीते हूए कल में परिश्रम कर रहें थे वो आज है । तो जो आज मिल गया है उसका सुख लीजिए , आने वाले कल के लिए क्यों चिंता करके आज के सुख को खो रहें है ।
कल की सिख,आज का वर्तमान और
भविष्ये का निर्माण ,
यही इंसान का जीवन सम्मान ।
By नीलू गुप्ता