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एक हस्ता खेलता बच्चा अचानक एक बीमारी के चपेट में आ जाता है ।एक ऐसा बिमारी जिसके बारे में आपने कभी सुना ही नही होगा। लोगो को लगता है की कैंसर ही सबसे गंभीर बिमारी है जो लोगो को धीरे-धीरे अपने चपेट में ले लेती है। हाँ यह सच भी है।  कैंसर एक गंभीर बिमारी है,लेकीन समय रहते कैंसर का पता चल जाये तो सम्भव है की उसका इलाज हो पाएँ। लेकीन इसका इलाज भी बहुत महंगा है। कुछ संस्थाएँ है जो कैंसर पीड़ितो के लीए काम कर रहे है । लेकिन मैं जिस बिमारी की बात कर रही हू वह एक लाईलज बिमारी है। यह बीमारी एक लाख लोगो में से दस से बारह लोगो में पाया जाता हैं,डॉक्टरों का कहना है की यह एक आनुवंशिक बिमारी है, जिसका नाम है मांसपेशीय दुर्विकास( muscular dystrophy) है। बहुत लोगो ने शायद ही इसका नाम सुना होगा।  जिसे यह बिमारी होती है उसके मश्पेशीया धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाते  है, इतना कमज़ोर की एक चलता फिरता इंसान एक दम से चलना बन्द कर देता है,वह एक ग्लास पानी भी नही उठा पाता है। यह बिमारी अलग-अलग लोगों में अलग-अलग उम्र में दिखाई देता है। कुछ को दो साल में तो कुछ को बीस साल में तो कुछ को चालिस से पचास साल की उम्र में भी। आआईये जानते है की इसके लक्षण क्या होते है , जहाँ तक मैने देखा है बच्चा चलते-चलते गिर जाता है  और वह आसानी से नही उठ पाता है,माश्पेशीयो में दर्द भी होता हैं । जिसे छोटी उम्र में यह बिमारी होती है वह जल्द ही कमज़ोर हो जाता है। इस बिमारी का पता जेनेटिक टेस्ट और MUSCLES BIOPSY से होता है। जैसे की मैने पहले बताया इसका  कोइ इलाज नही है, हाँ लेकीन आप भौतिक चिकित्सा, योग,प्राणायाम और तैरना आदि करके कुछ हद तक इस बिमारी को नियंत्रण में कर सकते है, लेकीन सच्चाई वही है जो मैने पहले बताया, फ्यूचर उनका बहुत बुरा होता है , उनका जीवन दुसरे के भरोसे हो जाता है। अगर समझदारी के उम्र में यह बिमारी आती है तो अपने आप को समझा लेंगे लेकिन बच्चो में यह बिमारी आती है तो आप कैसे बच्चो को समझाएंगे आप क्या बताएँगे जब बच्चे आप से सवाल करेंगे की उन्हे क्या हो रहा है और वह क्यो नही चल पा रहे है। आप चाह कर भी कुछ नही कर पाते है।   इतना  बेबस हो जाते है। लेकीन क्या आने वाल समय ऐसा ही होगा? क्या आगे भी हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे भगवान के भरोसे ? आज एक लाख में दस से बारह में यह बिमारी है कल इसकी संख्या बड़ भी सकती है,यह बिमारी कोइ नई बिमारी नही है लेकिन किसी को इसके बारे पता नही कयोंकि इसका कोइ प्रचार नही। यहाँ भारत में डॉक्टरों का एक ही जवाब होता है की बीस से पच्चीस साल तक ही इनका जीवन  होता है। जब डॉक्टर का यह जवाब सुनते है माँ-बाप तो उनका क्या हाल होता होगा ? हमारे देश में डॉक्टर को भगवान माना जाता है , और जब भगवान से ही ऐसा जवाब है तो आप किस्से उम्मीद करेंगे ? विदेश में कम से कम इसके उपर research कर रहे है कुछ संस्थान आगे आ रहे है जगह-जगह शिविर लगा कर सरकार के साथ काम कर रहे है। लेकिन भारत में कुछ नही है ना कोइ डॉक्टर आगे आ रहे है ना कोइ संस्थान ना सरकार। जब की सरकार

के लीए सभी नागरीक एक समान है सभी के लीए उनकी जिम्मेदारी एक समान है। लेकिन भारत में हर चीज में व्यापार जोड़ देते हैं। जिस चीज़ में पैसा है वही काम करेंगें, जैसे कैंसर पचास लोगो में द्स लोगों को और muscular dystrophy में एक लाख बच्चो में से किन्ही दस-बारह बच्चो को। इनकी संख्या कम हैं इसलिये कोइ इसमे दिलचस्पी नही दिखाता। लेकिन सभी की जान की कीमत एक ही हैं। सभी का दुख एक ही हैं। हमारे भारत के स्वास्थ्य मंत्री को इस बीमारी की जानकारी है लेकिन अभी तक इस पर कोइ काम नहीं कीया गया है। मैं इस निबंध के ज़रिए भारत सरकार से मदद की उम्मीद करती हूँ और इस पर काम हो यह आशा करती हू।

By Sushila Chatamba

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