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एक बार किसी अनजान ने पूछा ,
कहॉं उसका वास है ?
जो सारी सृष्टि चलाता है ,
जिस पर सभी को विश्वास है ।
जो दयालुता का झरना है
सुना है बहुत दूर रहकर भी पास है
सच बताऊँ तो !
मैं भी उसे मानना चाहता हूँ
जो सबके लिए खास है उसे जानना चाहता हूँ !
बताओ अब ,
उस पालनहार का कौनसा जहॉं है
मैं जानना चाहता हूँ वो रहता कहाँ है?
प्रश्न सुनकर पहले तो मेरा चेहरा खिला
फिर भाईसाहब को उनका जवाब कुछ इस तरह मिला:
कि, पतथर की हर मूरत में
भोली सी किसी सूरत में
काशी की मसान में ,
परिऋमी किसान में
किसी की आन बान और शान में ,
बड़ी सी चोटी और चट्टान में
खिलती हुई हर कली में ,
वैशय की गली में
हर तसबीह और ताज में
छोटे बड़े हर राज़ में,
हर शहनाई और साज में
किसी के छोटे बड़े काज में ,
हर जगह उसका नाम है
क्योंकि कण कण में राम हैं ।।

रचियता- पवनदीप कौर ( पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की छात्रा)
(लुधियाना – पंजाब)

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