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       स्वर्णनगर के पास एक बडा सा जंगल है | कहा जाता है की वहा जो भी जाता है वो वापस लौट के नही आता है | वो जंगल काफी बडा और घना भी है | उस जंगल में ऐसी जडी बूटिया है की उसका इस्तेमाल मनुष्य दवा बनाने में कर सकता है | उस जंगल में कभी कभी  बासुरी की धुन सुनार्इ देती है जिसके बारे में आजतक कोर्इ नही जा पाया | पर लोंगों की मान्यता है की वो बासुरी स्वयम भगवान कॄष्ण बजाते होंगें |

       उस गाÐव में जो बुर्जुंग रेहते है वो केहते है की कर्इ सालों पेहले उस जंगल को कटवाके लोग खेती बाडी करते थे | वहा पर अच्छी फसल मिलती थी |पर न जाने एक दिन खेतो की रखवाली करते समय एक बडा सा आदमी हाथ में डंडा लेते हुए उसके पिछे बहुत सारे सफेद कपडे पेहने हुए लोग थे | जिनकी शकल तो हमे दिखार्इ नही पडी |पर वो उस बडे आदमी से डर रहे थे ऐसा हमे लगा | कर्इ तो डर की वजह से इधर उधर छिप रहे थे | लेकिन उस बडे  आदमी के एक ही आवाज से वो सभी सफेद कपडे पेहने हुए लोग वापस से उनके पिछे जा रहे थे | उस दिन से वो हर रात हमे दिखार्इ देने पडे | वो हमारे पास से गुजरते पर हमारे मुÐह से एक भी शब्द नही निकलता था | उनके डर के वजह से हमने वहा खेती करना छोड दिया | 

        जिसकी लंबार्इ आसमान को छुनेवाली थी | उसका चेहरा दिखार्इ तो नही दे रहा था | वो हमें कुछ नुकसान न पहुचाए यही डर मन को सता रेहेता था | उस जंगल में एक झरना बेहेता था | लेकिन हमे जो अजीब लगा वो ये है कि उस झरने में एक त्रिकोणी आकार जैसा एक पत्थर था | उसपर इंद्रधनुष्य  की तरहा रंग बिखरा करते थे | आमतौर से ये किरणे सूरज की रोशनी होती है तब किसी भी चिज का चमकना आम बात है | लेकिन शाम के समय उस पत्थर पर पडने वाली रोशनी से वो पत्थर और भी चमक जाता | इसका कारण क्या है ये हमे नही पता | 

        जिस किसीने भी उस पत्थर को छूने की कोशीश की है उसको अपनी जान गवानी पडी है | जो भी उस पत्थर को देखता उसे वो पाने की  इच्छा तो  होती मगर उसके पास जाना आसान नही था |क्योंकी जो भी उस पत्थर को छूनेने की कोशीश करता तो वो चमकीला पत्थर अपने आप गायब होता और वो झरना उस इंसान को पानी में डूबा के मार देता था |

       जब हम गाÐववाले जंगल में खेती करते थे | तब आगे जाके कुछ पंधरा मिनिटों के पास वो  झरना था लेकिन हमने उस पत्थर को नही देखा था | जब वो अजीब से लोग हमे दिखार्इ पडे तो उनके पास कुछ चमकिली चिजे थी | वो क्या था ये हमे नही पता | पर हाÐ वो लोग झरने के पास से गुजरे होंगें | शायद वो पत्थर उनका हो सकता है | क्योंकी दुसरे दिन जब हम खेत की रखवाली कर रहे थे तब झरने की ओर से एक सुनेहरा प्रकाश दिखार्इ दे रहा था | उनकी वो चीज उनके  लिए बेशकिमती थी | और उसके ही हिफाजत के लिए वो शायद हमारे मन में डर पैदा करने की कोशीश कर रहे थे |

       हमारे लोगों की मौत उस पत्थर को पाने की वजह से  हुर्इ थी | जब तक वो पत्थर नही था तब तक सब कुछ ठिक था | केहते है ना लालच बुरी बला है | उसी वजह से उनको अपनी जान गवानी पडी | उस चमकिले पत्थर की वजह से जंगल में बहुत सारी अनदेखी घटनाए होने लगी जिसकी उम्मीद हमने कभी नही की थी | 

       चमकिले पत्थर की रोशनी जब चान्द को छूने की कोशीश कर रही थी तब अचानक से वहाÐ पर बासुरी की धंुद सनार्इ पडी | जिसकी वजह से हमें निंद आ जाती |और हमारी निंद सुबह खुलती | इसका क्या कारण हो सकता है इसके बारे में हमने बहुत से लोगों को पुछा पर वो कुछ नही केह पाए | उनके लिए भी वो एक अजीब सी घटना थी वो पेहले ऐसा किसीने नही देखा और ना  सुन हुवा सच था |

By Umida Gavathankar, Goa

SOURCEUmida Gavathankar
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