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माँ, हर प्राणी की जननी है , इस सर्ष्ठी को जीवन प्रदान करने वाली देवी है माता । बच्चो के लिए माँ की गोद एक शीतल चांदनी की तरह होती है जो उन्हें हर झुलसा देने वाली परेशानियों से बचाती है और सुकून प्रदान करके उनके आत्मविश्वास को बनाये रखती है । माँ बच्चे को पहला संस्कार देती है,पहला शब्द पढ़ाती है,पहला कदम रखने में उसका हौसला बढ़ाती है।

जो गलतियाँ अपने साथ हुई, वो बच्चों के साथ न धोराइय जाये, इस बात का भरकस प्रयास करती है माँ। मैया के लिए लड़का हो या लड़की सब एक बराबर होते है,सब के साथ एकसा व्यवहार करती है माँ। अपनी प्रगति और तरक्की से समझौता कर अपने बच्चों को सफलता की उच्चाइयों का सपना बुन जीवन में सदैव आगे बढ़ती है माँ। माँ वो इंसान होती है जो बच्चो के साथ हसती है और बच्चो के साथ रोती है। माँ की प्रेरणा बच्चों के लिए मजबूत कन्धों की तरह होते है जिन पर बच्चे सफलता के कदम रख मेहनत के साथ सफलता की बुलंदियों को छू जाते है और पुरे समाज में एक श्रेष्ट इंसान होने का गौरव हासिल करते है ।

साल के बारह महीने,दिन के चोबीस घंटे अपने घर पर, बड़े बूढ़ो का, छोटो बड़ो का, बच्चो का,आने जाने वालो का धयान निस्वार्थ भाव से रखती है और उनकी हर छोटी बड़ी बात का धयान मन से रखती है । माता अपनी जरूरतों को, इच्छाओं को कम करके पुरे परिवार को प्रेम रूपी धागे में पिरो के रखती है ।आज की आधुनिक माँ बहुकार्यान होती है जो सम्पूर्ण घर का ख्याल तो रखती ही है साथ ही आज की कार्येप्रणाली को समझ कर देश के आधुनिक विकास के लिए भी अग्रसर रहती है ।आज माँ कंप्यूटर और प्रौद्योगिकी में तो निपुण है ही साथ ही घर का काम भी आसानी से सम्भाल लेती है ।

पति के साथ कदम से कदम बढ़ा कर, जीवन रूपी डोर के दो पहियों  की गाड़ी बनकर,एकऔर एक ग्याहरह बन कर मकान को  घर बना कर ,एक नया जीवन सुख से भर देती है माँ। माता अपने शब्दों से और कार्यो से,आत्मविश्वास से,आत्मनिर्भरता से और कभी न खत्म होने वाली ऊर्जा से भर देती है और हर उम्मीद को सफलता की रोशनी में बदलने का भरपूर प्रयास करती है ।

सरस्वती, दुर्गा, लष्मी, गौरी, और अम्बे  सभी नाम माँ के है । बिना किसी लालच, लोभ, स्वार्थ के कभी न थकने वाली माँ, हर बुरी नज़र से बचाने वाली माँ, दिन के आठों पहर पहरा देने वाली माँ आदरणीय है,विश्वासीनिये है और प्रशंसनीय है । माँ बिना किसी शर्त के, बिना किसी तन्खा के,अपना पूरा जीवन दुसरो के लिए अर्पित कर देती है और बदले में चाहती है प्यार और सम्मान, भरोसा, विश्वास, सुकून,समय और समझ ।

आज माता घर के कामो में तो निपुण है ही साथ ही आत्मनिर्भर रहने के लिए अपने व्यवसाय और व्यापार में भी कुशल है । माँ घर का, बैंक का,स्कूल का, बिज़नेस का, बाजार का काम अपने तेज तर्रार दिमाग का इस्तेमाल कर कम परिश्रम से और कम समय में पूरा कर लेती है । आज माँ अबला नारी नहीं है अपितु बुद्धिमान और सुव्यवस्थित इंसान है जो पलक झपकते ही मुश्किलों को अवसर में परिवर्तित करना जानती है और हार को जीत में बदल देती है ।

माँ शिक्षक है जो हर बच्चे के मन में ज्ञान की ज्योति जलाती है, सिपाही है जो हर बुरी नज़र से घर की रक्षा करती है , चिकित्सक है जो परिवार के हर इंसान को जीवन प्रदान करती है,अन्नपूर्णा है जो हर भूखे का पेट अन्न से तृप्त करती है , अभियंता है जो हर बिगड़ी प्रौधोगिकी को ठीक कर उसका समाधान करती है ।

इतिहास में रानी लष्मी बाई,पन्ना दायी, मदर तेर्रसा, इंदिरा गाँधी , किरण देवी, सरोजनी नायडू आदि ऐसे मंझे हुए नाम है जिन्होंने अपने देश के लिए अतुलनीय फ़र्ज़ तो निभाए ही है साथ ही एक अच्छी माँ,बेटी,बहिन और नागरिक होने का भी पूरा प्रयास किया है।

माँ कभी सेवा निवृत्त नहीं होती। हम अपने सुख दुःख में सबसे ज्यादा माँ को ही याद करते है। हम जब भी किसी संकट में फंसे होते है हमारे मुख से निकलता है ” हे माँ “। माँ ब्रम्हाणी है जो हमारे जीवन की रचयिता है,रुद्राणी है जो हर संकट से ,हर बुरी संगत से, रौद्र रूप धारण कर, हमे बचाती है, माँ के रौद्र में भी करुणा और जीवन की सीख छुपी होती है । माँ कमलारानी है जो अपने कर कमलो से हमारे नैतिक मूल्यों को सवारती है और हमे एक योग्ये नागरिक बनती है। माँ मधुर भाषिणी है। माँ का आदर सदैव सुख, शांति, सुरक्षा और उन्नति का दुआर होता है । माँ सहारनीय है, माँ कोमल है ।

माँ के पास हर बात का सरल उपाए मौजूद रहता है। हमारी कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो माँ उसे सरल से उपाए से सुलझा देती है । माँ कितनी भी दुखी क्यों न हो,हमेशा मुस्कुरा कर अपना दुःख छुपा लेती है ।अक्सर माँ का हाथ खाना बनाते हुए जल जाता है परन्तु वह बिना किसी आह: के काम करती रहती है लेकिन उसके बच्चो पर अगर ज़रासी भी खरोच आ जाये तो वह सारा घर सर पर उठा लेती है व् रात भर सो नहीं पाती। यह माँ का निछल प्रेम है, ममता है, जो उसके अंचल में हम बच्चे दुनिया का सारा सुख महसूस करते है ।

हम बच्चो का फ़र्ज़ है की माँ का सदैव आदर करें। जब उसे जरूरत हो तो उसका हाथ थामे,उसकी मेहनत,परवरिश और उसके समय की कदर करें, जो उन्होंने हमें दी है अपने जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा न्यौछावर करके । माँ के रूप में ईश्वर की छवि देखें। माँ के चरणों में ही ईश्वर के दुआर है ।

 नीलू गुप्ता 

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