Rate this post अबकी बरसात में हम,कुछ ऐसे भीग गये,लवरेज हुऐ प्रेम से,और द्वैत,द्वेष रीत गये।। तन भींगा,मन भीगा,अंतरतम सीज गयेजो थे पाषाण ह्रदय,वो भी पसीज गये,।। क्या सावन,क्या भादों और कहां तीज गये,उर्वरता जाग उठी,जब ऐसे बीज गये।। मधुरांकुर,फूट पड़े,खुशियों पे रीझ गये,मधुरस जो छूट पड़े, पलकों को मींच गये।। पहचाने अब देखो,रांझे और … Continue reading अबकी बरसात
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